Saira Banu Debut Movie: दिग्गज अभिनेत्री सायरा बानू ने ‘जंगली’ फिल्म से डेब्यू किया था। वहीं आज इस फिल्म की रिलीज को 55 साल…
90s के दशक की प्रसिद्ध अभिनेत्री रही सायरा बानू सोशल मीडिया पर काफी सक्रीय रहती है। वे अक्सर अपनी लाइफ, फिल्मों और अपने पति व दिंवगत अभिनेता दिलीप कुमार से जुड़े किस्से फैंस को सुनाती रहती है। इसी कड़ी में आज सायरा ने अपनी डेब्यू फिल्म के दिनों को याद किया है। दरअसल आज उनकी डेब्यू मूवी ‘जंगली’ (Saira Banu Debut Movie) को पच्प्पन साल पुरे हो गए है।
Saira Banu Debut Movie Junglee
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बता दे कि सायरा बानू ने साल 1961 में फिल्म ‘जंगली’ से बॉलीवुड डेब्यू किया था। आज इस फिल्म को 55 साल पुरे हो गए है। इस खास मौके पर सायरा ने कुछ पुरानी यादों को ताजा किया है। उन्होंने अपनी डेब्यू फिल्म का पोस्टर शेयर किया है।
सायरा ने इस पोस्टर को शेयर करते हुए लिखा, “पच्प्पन साल पहले, एक यंग, बड़ी आँखों वाली लड़की पहली बार कैमरे के सामने अनिश्चित, घबराई हुई, उत्साह और डर से कांपती हुई खड़ी थी। वह लड़की मैं थी। लंदन से लौटने के बाद मुझे AVM और जेमिनी जैसे प्रतिष्ठित स्टूडियो से फिल्मों के ऑफर मिले और फिल्म मेकर्स जिनकी मैं बहुत बड़ी फैन थी कमाल अमरोही, रामानंद सागर, बी. आर चोपड़ा और और डियर एस. मुखर्जी जो फिल्मालय के अंकल थे। इन्होने भारतीय सिनेमा को साधना और आशा पारेख जैसे चमकते हुए सितारे दिए।”
‘हम हिंदुस्तानी’ से होता सायरा बानू का डेब्यू
सायरा ने आगे लिखा, “शुरूवात में वो मुझे सुनील दत्त साहब के साथ ‘हम हिंदुस्तानी’ में कास्ट करना चाहते थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उनके भाई सुबोध मुखर्जी, जंगली नाम का एक नया प्रोजेक्ट तैयार कर रहे थे। एक ऐसी कहानी जिसके लिए एक शरारती, जिंदादिल लड़की की जरुरत थी और शायद मैं वैसी ही थी। एक अजीबोगरीब मिश्रण, एक लड़के और एक एकांतप्रिय लड़की का, जो नंगे पाँव पेड़ों पर चढ़ती है और अगले ही पल शरमाकर परदे के पीछे छुप जाती है।”
डेब्यू फिल्म की शूटिंग के दौरान फूट-फूटकर रोने लगी थी सायरा
एक्ट्रेस ने आगे लिखा, “और इस तरह मेरी यात्रा शुरू हुई। हमारी यूनिट कश्मीर की मनमोहक घाटियों, निशात और शालीमार के दिव्य उद्यानों तक गई। जहां ‘कश्मीर की कली हूँ मैं’ गाने की शूटिंग होनी थी। हजारों पर्यटकों को भीड़ के सामने ये मेरा पहला अनुभव था, जो हमें शूटिंग करते हुए देख रहे थे। मैं अभिभूत होकर जम गई और फूट-फूटकर रोने लगी। लेकिन तभी शरारती और चुंबकीय ऊर्जा से भरपूर शम्मी जी आए और और उन्होंने अप्पा जी को आँख मारी और मुझे चिढ़ाते हुए कहा ‘अगर शर्मीली ही रहना है तो बुर्के में घर पर ही रहना था।’ उस हल्की सी डांट ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया। मैंने अपने आंसू पोछे, दुपट्टे को कसकर कमर पर बांधा और अपनी आवाज में फायर के साथ कहा मैं करके दिखाऊँगी।”
उन्होंने आगे लिखा, “और मैंने ऐसा ही किया, कैमरा फिर से चल पड़ा, संगीत बजा और जादू हो गया। उस एक पल ने मेरे डर को दृढ निश्चय में बदल दिया। उन दिनों की एक और अविस्वरमणीय याद… निगीन झील में साहसिक वॉटर-स्कीइंग सीन। डुप्लीकेट आर्टिस्ट नहीं आया, मैंने कभी पहले सर्फिंग नहीं की थी। तब शम्मी जी के आत्मविश्वाश ने मुझे हिम्मत दी। मैंने प्रार्थना की और बर्फीले पानी में कूद पड़ी, जबकि मेरी माँ किनारे पर बेहोश हो गई। लेकिन जब शॉट खत्म हुआ तब पूरी टीम ने खुशी मनाई। उसी दिन मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपना लक्ष्य मिल गया था।
सुबोध मुखर्जी, शम्मी कपूर और अपने पिता का किया शुक्रिया
सायरा ने अपनी पोस्ट के अंत में लिखा, “जंगली सिर्फ मेरी डेब्यू फिल्म नहीं थी बल्कि यह सिनेमा में मेरा बपतिस्मा था। एक ऐसी फिल्म जिसने मुझे पंख दिए और मुझे हिम्मत दी और मुझे अभिनय के आनंद से परिचित कराया। यह एक ऐसे सफर की शुरूवात थी जो मेरे दिल के बेहद करीब था। मेरे प्यारे सुबोध मुखर्जी अंकल, मेरे हमेशा प्रोत्साहित करने वाले शम्मी जी और मेरे प्यारे अप्पा जी, जो हर कदम पर मेरे साथ खड़े रहे। मेरा अनंत आभार।”
